गुरुवार, 12 जून 2008

बिहारी मजदूरों के आगे गिड़गिड़ाए पंजाबी किसान



पंजाब में पूरबिए-१

बिहार के विकास और पंजाब की खेती में या संबंध है? यह सवाल बेमानी नहीं है। अभी पंजाब के किसान अपनी खेती को लेकर चिंतित हैं। कारण है बिहार में चल रहे विकास कार्य। बिहार में निर्माण कार्यो के कारण बेरोजगारों को लगातार काम मिल रहा है। उसकी वजह से वे मजदूर जो पंजाब का रूख करते थे इस बार बिहार आने पर नहीं लौटे। इससे पंजाब में धान की रोपाई के लिए मजदूरों का संकट हो गया। कई अखबारों ने एक फोटो छापी कि जालंधर रेलवे स्टेशन पर एक संपन्न किसान विपन्न से दिख रहे मजदूर को हाथ जोड़कर रोक रहा है। हाथ जोड़ने का कारण है कि यहां की खेती और इंडस्ट्री बिहारऱ्यूपी के मजदूरों पर निर्भर है। आतंकवाद के समय में भी जब स्थानीय लोग खेतों पर नहीं जाते थे या पलायन कर गए थे तब भी इन्हीं मजदूरों ने यहां की अर्थव्यवस्था को संभाले रखा। हरित क्रांति की नींव बिहार यूपी के मजदूरों की मेहनत पर ही रखी गई। उस दौरान बिहार यूपी के काफी मजदूर आतंकियों की गोलियोंं के शिकार बने लेकिन इसके बदले उन्हें कोई महत्व नहीं मिला। पुलिस ने भी उनकी हत्याआें को अपने रिकार्ड में दर्ज नहीं किया। कोई सामाजिक संस्था या व्यि त भी नहीं दिखता जो पंजाब में पूरबियों की स्थिति पर जमीनी तौर पर काम कर रहा हो। यहां के विकास में इस योगदान के बावजूद पंजाब में बिहारऱ्यूपी के लोगों को भैय्ये कहा जाता है। ये बड़े भाई के समान आदर भाव वाला शब्द नहीं है। इसे वे गाली के सेंस में प्रयोग करते हैं। उ्न्हें भैय्यों की जरूरत है, वे उस पर भरोसा भी करते हैं पर यह बर्दाश्त नहीं करते कि वह मजदूर के स्तर से उपर का जीवन जीए।

5 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

mritunjai ji, pahle to aapke is sarahniya prayas ke liye aapko dhanyavad. yeh sach hai ki up-bihar ke logon ki mehnat ke bal par hi aaj punjab itni pragati kar saka hai. phir bhi inki is hartor mehnat ka koi mol nahin samjha jaata aur yehi haath jorne wale inhen ijjat ki roti dena pasand nahin karte.

मृत्युंजय कुमार ने कहा…

बेनामी जी धन्यवाद। आपने िबलकुल सही बात िलखी है। मुझे लगता है िक इसके िलए आपको अपना पिरचय िछपाने की जरूरत नहीं थी।

संतराम यादव ने कहा…

mritunjai ji, itne samvedanshil vishay par itni gambhir post ke liye aapko thanks. main to yehi kahunga yeh matlab ke liye haath jorne wale log kaam nikalte hi un imandar, mehnati mazdooron ko laat maarne se bhi baaz nahin aayenge. khair, nitish sarkar ne ek aash jagai hai, aur jaroor aane wale dinon men haalat badlenge. aapki sahsik lekhni ke liye shukriya.

सचिन मिश्रा ने कहा…

bahut accha likha hai

RSUDESH ने कहा…

लेकिन दुख इसी बात का है कि दूसरे प्रदेशों को विकास के राह पर ले जाने वाले अपने प्रदेश को इतना पीछे जाते हुए कैसे देखते रहे।
अच्छी टिप्पणी