रविवार, 23 दिसंबर 2007

पंजाब गुजरात भी नहीं


यह पंजाब है। गुरुओं की धरती । उन गुरुओं की िजन्होंने दूसरों की जान बचाने के िलए अपने शीश की कुर्बानी दी थी । यहां के रग-रग में वीरता और त्याग का इितहास भरा है । यहीं की धरती भगत िसंह और उधम िसंह जैसे वीरों को पैदा करती है । लेिकन आज िस्थित बदल गई है। आज यहां सच को सच कहने का कोई साहस नहीं िदखा पा रहा है। माने हुए आतंिकयों को सरेआम शहीद का दर्जा देकर मिहमामंिडत िकया गया और सरकार चुप है। वही सरकार जो संिवधान के प्रित आस्था और कर्तव्य की शपथ लेती है । सरकार की बैसाखी बने लोग भी चुप हैं। मामला पंजाब में आतंकवाद का नेतृत्व करनेवाले जनरैल िसंह िभंडरावाले की तसवीर का है । िभंडरावाले के उपर िसख युवकों की भावनाएं भडका कर उन्हें सैंकडों िनर्दोषों की हत्याओं के िलए प्रेिरत करने का आरोप है। िभंडरावाले पर पिवत्र स्वर्ण मंिदर के आतंकी कार्यों के िलए इस्तेमाल करने का आरोप भी है। उसे आपरेशन ब्लू स्टार के दौरान स्वर्ण मंिदर पिरसर में ही मारा गया था । आतंकवाद पीिडत सैंकडो पिरवार उसे आतंकवाद के दौर का सबसे बड़ा खलनायक मानते हैं परंतु िशरोमिण गुरुद्वाारा प्रबंधक कमेटी उसे आतंकी नहीं शहीद मानती है। और इसी आधार पर उसकी तस्वीर स्वर्ण मंिदर पिरसर में िस्थत अजायब घर में लगा दी।
उस अजायब घर में िभंडरावाले ही नहीं इंिदरा गांधी और बेअंत िसंह और जनरल वैद्य के हत्या रे की तस्वीर भी लगी हुई है । ये तसवीरें खलनायक के तौर पर लगी होती तो कोई बात नहीं थी। िचंता की बात है िक इन आतंिकयों को िसख कौम के नायक और शहीद के तौर पर प्रस्तुत िकया गया । समाचार पत्रों में खबरें आईं। लेिकन मुख्यमंत्री प्रकाश िसंह बादल चुप रहे। आतंकवाद के िखलाफ बढ़चड़ कर बयानदेनेवाली भाजपा के नेता भी कहने लगे िक यह एसजीपीसी का आंतिरक मामला है। वे अपने संस्थान में िकसी का भी फोटो लगा सकते हैं। लेिकन क्या यह िसर्फ िवचार धारा और िनजता का मामला है । कांग्रेस इसका खुलकर िवरोध कर रही है क्योंिक इन आतंिकयों के सबसे ज्यादा िशकार उसी के नेता हुए थे। लेिकन भाजपा की चुप्पी िचंताजनक है? क्योंिक उसका वोटबैंक पंजाब के िहंदू हैं और वही सबसे ज्यादा इन आतंिकयों का िशकार बने थे। जािहर है िक इस िवरोध की िस्थित में उसे अकाली दल से अलग होने की िस्थित में आना पड़ता और उसके नेताओं को सत्ता सुख से वंिचत होना पड़ता । अकाली दल के नेताओं का रुख तो अितवाद की सीमा को लांघ गया। उसके विरष्ठ नेता बयान देकर उन लोगो को सीमा में रहने की नसीहत दे रहे थे िजन्होंने िभंडरावाले को आतंकी कहने की जुर्रत की।
क्या यह कदम उन लोगों के सीने में िफर से टीस नहीं भरती होगी िजनके अपने आतंकवािदयों के िशकार बने थे। यह सच है िक कुछ लोग िभंडरावाले और दूसरे आतंिकयों को नायक मानते हैं। उनका मानना है िक इन्होंने िसख कौम के िलए कुरबानी दी। कई िसखों से बातचीत में इसका अहसास भी होता है । इन्ही के समरथन के िलए एेसे कदम उठाए गए। लेिकन एेसे लोगों की संख्या िकतनी है? शायद बहुत कम । सबसे बड़ा सवाल यह है िक क्या सआम लोग भी इन आतंिकयों को शहीद मानेंगे। जािहर है िक कभी नहीं ।
दरअसल गिणत लोकसभा चुनाव का है। अकाली दल मालवा में मजबूत हो रहे कट्टरपंिथयों को अपनी ओर कर डेरा के असर को काटना चाहता है। उसे उम्मीद है िक िजतना िभंडरावाले की तस्वीर लगाने का िवरोध होगा उतना ही कट्टरपंथी िसखों के वोटों का ध्रुवीकरण उसकी ओर होगा जो िवधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर चले गए थे। भाजपा इस मुद्दे पर चुप्पी साधकर अपनी राजनीितक उम्मीद को बनाये रखना चाहती है परंतु शायद पिरणाम एेसे न हों । क्योंिक जनता सच जानती है और पंजाब गुजरात भी नहीं है।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

yahan aapka "punjab gujraat bhi nahi hai" se kya tatparya hai?